Thursday, January 23, 2025

तलाक के इस दौर में एक सच्चे प्यार की मिसाल, आखिरी सांस तक पत्नी ने निभाया साथ

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Yash Pandey
Yash Pandey
पत्रकार

जिस दौर में छोटी-छोटी बातों पर रिश्तों में तनाव और फिर तलाक की नौबत आ जाती है, ऐसे में नेपाली कपल विवेक पंगेनी और सृजना सुवेदी की प्रेम कहानी दुनिया के लिए सच्चे प्यार की मिसाल बनकर सामने आई है। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि समर्पण, त्याग, और अटूट विश्वास का प्रतीक है। उनकी कहानी ने यह साबित किया कि असली प्यार किसी शर्त पर नहीं, बल्कि दिल से होता है।

विवेक और सृजना की मुलाकात करीब 10 साल पहले हुई थी। दोनों के बीच दोस्ती हुई और जल्द ही यह दोस्ती प्यार में बदल गई। कुछ समय बाद उन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद दोनों का जीवन खुशहाल चल रहा था। वे सोशल मीडिया पर एक मशहूर कपल के रूप में उभरे, जो अपनी प्यारी तस्वीरें और रील्स साझा करते थे। उनकी जोड़ी को देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता था। विवेक यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया में फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी के पीएचडी छात्र थे। वे अपने करियर और निजी जीवन में संतुलन बनाकर चल रहे थे।

लेकिन कहते हैं कि जब प्यार सच्चा हो, तो उसे कठिनाइयों की परीक्षा से गुजरना पड़ता है। 2022 में उनके जीवन ने अचानक एक दुखद मोड़ लिया, जब विवेक को चौथे स्टेज के ब्रेन ट्यूमर का पता चला। यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी। विवेक और सृजना के सामने एक ऐसा दौर आ खड़ा हुआ, जो उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदलने वाला था।

जहां ऐसी परिस्थितियों में कई लोग अपने साथी का साथ छोड़ देते हैं, वहीं सृजना ने एक मिसाल कायम की। उन्होंने इस कठिन घड़ी में अपने पति का साथ नहीं छोड़ा, बल्कि उनका हौसला बढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने अपना करियर और बाकी सारी चीजें छोड़कर अपने पति की देखभाल में खुद को समर्पित कर दिया। विवेक की कीमोथेरेपी शुरू हुई, तो सृजना ने उनके साथ सहानुभूति और मजबूती का रिश्ता बनाए रखने के लिए अपने भी बाल कटवा लिए। यह कदम दिखाता है कि उनका प्यार केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में झलकता था।

सृजना जानती थीं कि विवेक के पास जीने के लिए केवल 6 महीने का समय है, लेकिन उन्होंने इस समय को अपने पति के लिए खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि विवेक हर पल खुद को खुश और सामान्य महसूस करें। चाहे अस्पताल के दिन हों या घर के, सृजना ने हर परिस्थिति में विवेक का साथ निभाया।

हालांकि, नियति को कुछ और ही मंजूर था। 19 दिसंबर को, महज 36 साल की उम्र में, विवेक ने कैंसर से जंग हार दी और अमेरिका के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। इस दुखद घटना ने सृजना को तोड़ दिया, लेकिन उनके दिल में विवेक का प्यार हमेशा के लिए अमर हो गया।

इस कहानी ने उन सभी लोगों को एक संदेश दिया है, जो अपने रिश्तों को सिर्फ परिस्थितियों या स्वार्थ के आधार पर तोड़ देते हैं। सृजना और विवेक की कहानी ने दिखाया कि असली प्यार क्या होता है। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि प्यार का मतलब केवल खुशी के पलों में साथ रहना नहीं है, बल्कि कठिन समय में एक-दूसरे का सहारा बनना है।

आज, भले ही विवेक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी और सृजना की कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई है। यह कहानी उन सभी कपल्स के लिए प्रेरणा है, जो सच्चे प्यार और समर्पण की तलाश में हैं। कुछ प्रेम कहानियां अधूरी रहकर भी पूरी होती हैं, और विवेक और सृजना की कहानी ऐसी ही एक अमर प्रेम गाथा है।

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