बिहार के वैशाली जिले में शिक्षा विभाग से एक ऐसी लापरवाही हुई है, जो सुनने में जितनी हास्यास्पद लगती है, उतनी ही चौंकाने वाली भी है। महुआ प्रखंड क्षेत्र के उच्च विद्यालय हसनपुर ओसती में तैनात बीपीएससी के शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह को शिक्षा विभाग ने मैटरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश दे दिया। यह अवकाश 2 दिसंबर से 10 दिसंबर तक के लिए स्वीकृत किया गया।
शिक्षा विभाग के पोर्टल ई-शिक्षा कोष पर यह लीव दर्ज की गई और इसे ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड भी किया गया। जब यह मामला सामने आया, तो शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे। सोशल मीडिया पर यह खबर आग की तरह फैल गई और लोगों ने विभाग की जमकर खिंचाई की।
कैसे हुआ यह मामला?
दरअसल, शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह एक सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं। हाल ही में उन्होंने छुट्टी का आवेदन दिया था। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते उन्हें ऐसी छुट्टी दे दी गई, जो केवल महिलाओं के लिए होती है। शिक्षा विभाग के पोर्टल पर उन्हें प्रेग्नेंट दिखाते हुए यह मैटरनिटी लीव स्वीकृत की गई।
प्रखंड शिक्षा अधिकारी अर्चना कुमारी ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि यह गलती तकनीकी कारणों से हुई है। विभागीय प्रक्रिया में यह त्रुटि अनजाने में हुई, जिसे जल्द ही सुधार लिया जाएगा।
पुरुष शिक्षक को प्रेग्नेंट मानने का कारण?
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने माना कि यह एक बड़ी चूक है। आमतौर पर छुट्टियों का प्रबंधन पोर्टल के माध्यम से होता है, लेकिन किसी कारणवश सिस्टम ने आवेदन को गलत ढंग से स्वीकृत कर लिया। अर्चना कुमारी ने कहा कि पुरुष शिक्षकों को ऐसी छुट्टी देने का कोई प्रावधान नहीं है। विभाग जल्द ही इस त्रुटि को सुधारने में जुटा है।
सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
जैसे ही यह खबर वायरल हुई, सोशल मीडिया पर लोगों ने बिहार शिक्षा विभाग की खूब खिल्ली उड़ाई। कई यूजर्स ने मजेदार टिप्पणियां कीं।
- एक यूजर ने लिखा, “बच्चा पैदा करने वाला पहला मर्द!”
- दूसरे ने लिखा, “अजब गजब बिहार, जहां कुछ भी हो सकता है!”
- एक और यूजर ने तंज कसा, “बिहार के सरकारी सिस्टम में यह नया कमाल है!”
यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। लोग इसे एक मजेदार लेकिन शर्मनाक घटना के रूप में देख रहे हैं।
शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह ने क्या कहा?
इस घटना पर शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, उनके सहकर्मी और अन्य शिक्षक इस घटना से नाराज हैं। उनका कहना है कि विभागीय लापरवाही के कारण शिक्षकों को शर्मिंदा होना पड़ता है।
शिक्षा विभाग ने मानी अपनी गलती
घटना के बाद शिक्षा विभाग को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी। प्रखंड शिक्षा अधिकारी अर्चना कुमारी ने कहा,
“यह गड़बड़ी तकनीकी कारणों से हुई है। इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। हालांकि, यह घटना हमारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है।”
अधिकारियों का कहना है कि इस गलती से शिक्षा विभाग की साख पर बट्टा लगा है। अब वे इस त्रुटि को सुधारने के लिए डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं।
लोगों में आक्रोश, विभाग पर उठे सवाल
शिक्षा विभाग की इस गलती ने न केवल उनकी साख को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि अन्य शिक्षकों में भी नाराजगी पैदा की है। सरकारी स्कूलों के कई शिक्षकों ने इसे विभागीय लापरवाही का उदाहरण बताया है।
महुआ प्रखंड के अन्य स्कूलों में भी यह खबर चर्चा का विषय बन गई। कई शिक्षकों ने इसे हास्यास्पद और शर्मनाक बताया। उनका कहना है कि ऐसी लापरवाही से सरकारी विभागों की छवि खराब होती है।
क्या हैं तकनीकी पहलू?
इस घटना के बारे में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. रजनीश पांडे ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी पुरुष को ऐसी छुट्टी दी गई। यह दर्शाता है कि शिक्षा विभाग के पोर्टल में सुधार की जरूरत है।
निष्कर्ष
बिहार शिक्षा विभाग की इस गलती ने एक बार फिर सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर किया है। हालांकि, विभाग ने इसे जल्द ठीक करने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह घटना लंबे समय तक चर्चा में रहेगी। लोगों की उम्मीद है कि शिक्षा विभाग ऐसी गलतियों से सीख लेगा और भविष्य में इस तरह की लापरवाहियां नहीं होंगी।