मध्य प्रदेश में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचलें तेज हैं। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने हाल के वर्षों में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे पार्टी की स्थिति और भी सुदृढ़ हो गई है। हालांकि, वीडी शर्मा के सफल कार्यकाल के बावजूद, पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की चर्चा जारी है, और इस परिवर्तन के केंद्र में प्रदेश अध्यक्ष का पद है। प्रदेश में भाजपा के मजबूत गढ़ होने और दो दशक से भी अधिक समय से सत्ता में रहने के कारण, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई कद्दावर नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इनमें सांसद आलोक शर्मा, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, और मप्र भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं। हर एक नेता की अपनी संगठनात्मक ताकत और क्षेत्रीय पकड़ है, जो उन्हें इस दौड़ में दूसरों से अलग करती है।
मुख्य दावेदारों का विश्लेषण
- राजेंद्र शुक्ल (डिप्टी सीएम): डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला को सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। वे न केवल विंध्य क्षेत्र बल्कि रीवा संभाग में भाजपा का प्रमुख चेहरा हैं। पार्टी के संगठन और केंद्रीय नेतृत्व, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ उनकी घनिष्ठता ने उनके पक्ष में माहौल बनाया है। विंध्य क्षेत्र में भाजपा की सफलता का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वे प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं, तो उनका संगठन पर नियंत्रण और भी अधिक मजबूत होगा। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने तो यहाँ तक कहा है कि राजेंद्र शुक्ल भविष्य में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के संभावित दावेदार हो सकते हैं, जिससे उनकी राजनीतिक संभावनाएं और भी अधिक रोचक बनती हैं।2. नरोत्तम मिश्रा (पूर्व गृहमंत्री): नरोत्तम मिश्रा भी एक मजबूत दावेदार हैं। वे भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं और पार्टी के कई महत्वपूर्ण निर्णयों में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। हालांकि उन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव गंवा दिया था, लेकिन इसके बावजूद पार्टी के अंदर उनकी पकड़ और रणनीतिक कौशल की सराहना होती है। हाल ही में, उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं की “घर वापसी” अभियान का नेतृत्व किया था, जिसमें उन्होंने उन नेताओं को पुनः भाजपा में लाने का सफल प्रयास किया, जो किसी कारणवश पार्टी से अलग हो गए थे। यह पहल उन्हें संगठनात्मक रूप से एक प्रमुख भूमिका में रखती है।
3. कैलाश विजयवर्गीय: भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय भी इस पद की दौड़ में शामिल हैं। हालाँकि वे मप्र की कैबिनेट बैठकों में कम ही देखे जा रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी की अफवाहें भी चल रही हैं, फिर भी उनकी संगठनात्मक क्षमता और कार्यक्षमता को पार्टी में अत्यधिक माना जाता है। कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान रखते हैं, और उनकी रणनीतिक क्षमता के कारण उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद का एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है।4. आलोक शर्मा (भोपाल सांसद): भोपाल से सांसद आलोक शर्मा भी इस पद के दावेदार हैं। उनकी संगठनात्मक सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भाजपा के अंदर एक सशक्त चेहरा बना दिया है। हालांकि, अन्य दावेदारों की तुलना में उनकी स्थिति कुछ कमजोर मानी जा रही है, लेकिन वे भाजपा के एक सशक्त और लोकप्रिय नेता हैं, जिनकी स्वीकार्यता पार्टी के कार्यकर्ताओं में अच्छी है।5. गोपाल भार्गव (पूर्व मंत्री): गोपाल भार्गव भी इस रेस में एक मजबूत दावेदार के रूप में शामिल हैं। पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भाजपा में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं और पार्टी के महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी भूमिका रही है। उनकी राजनीतिक समझ और अनुभव को देखते हुए, उन्हें भी प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए एक योग्य उम्मीदवार माना जा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव: प्रक्रिया और संभावित तिथियाँ
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव संगठनात्मक प्रक्रिया के तहत ही होगा। हाल ही में भाजपा ने ग्वालियर के पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर को प्रदेश चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है, जो इस चुनाव प्रक्रिया का संचालन करेंगे। इसके साथ ही, जीतू जिराती, अर्चना चिटनीस, रजनीश अग्रवाल, और डॉ प्रभुलाल जाटवा को सह चुनाव अधिकारी बनाया गया है। यह कमेटी सबसे पहले बूथ स्तर पर समितियों का गठन करेगी, फिर मंडल अध्यक्षों का चुनाव होगा, उसके बाद जिला अध्यक्ष चुने जाएंगे, और अंत में प्रदेश अध्यक्ष का चयन किया जाएगा।
सदस्यता अभियान के समाप्त होने के बाद संगठन चुनाव की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने की संभावना है। हालांकि, पार्टी ने इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद, संभवतः दिसंबर या जनवरी में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का निर्णय लिया जा सकता है।
राजनीतिक विश्लेषण और अनुमान
मध्य प्रदेश भाजपा में इस पद के लिए कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, जिससे यह अनुमान लगाना कठिन हो रहा है कि पार्टी नेतृत्व किसे इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए चुनेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी इस बार एक ऐसा चेहरा चुनना चाहेगी जो न केवल संगठन पर पकड़ बनाए रखे, बल्कि आगामी चुनावों में भाजपा को और मजबूती प्रदान कर सके। कुछ जानकारों का कहना है कि राजेंद्र शुक्ला की प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के साथ नजदीकी उन्हें इस पद की दौड़ में सबसे आगे रखती है, जबकि अन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय जैसे अनुभवी नेताओं का भी इस पद पर चयन हो सकता है।
यह स्पष्ट है कि भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनने का मतलब केवल एक पद नहीं है, बल्कि वह नेतृत्व है जो पार्टी को जमीनी स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक एकजुट कर सके और उसे भविष्य के चुनावों में सफलता दिला सके। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसे इस जिम्मेदारी के लिए चुनता है और किसके नेतृत्व में भाजपा का अगला संगठनात्मक चरण आरंभ होता है।
आखिरकार, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन इस रेस में विजेता बनता है, लेकिन एक बात निश्चित है कि इस चुनाव पर न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं बल्कि मध्य प्रदेश की पूरी राजनीति की नजरें टिकी हुई हैं।