Thursday, January 23, 2025

महाकुंभ में गैर-सनातनी दुकानों पर रोक की मांग, बागेश्वर धाम और अखाड़ा परिषद का समर्थन

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Yash Pandey
Yash Pandey
पत्रकार

अगले वर्ष होने वाले महाकुंभ को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बड़ा बयान दिया है, जिसने सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है। परिषद के अध्यक्ष ने मांग की है कि महाकुंभ में गैर-सनातनी लोगों को खाने-पीने की दुकानें लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस बयान ने धार्मिक और सामाजिक स्तर पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं।

अखाड़ा परिषद के इस बयान का बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने खुलकर समर्थन किया है। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यह मांग उचित है, क्योंकि महाकुंभ सनातन धर्म का पवित्र आयोजन है और इसे धार्मिक पवित्रता बनाए रखने के लिए गैर-सनातनी गतिविधियों से बचाना जरूरी है।

बागेश्वर धाम का समर्थन

जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया कि यदि गैर-हिंदुओं को महाकुंभ मेले में दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो वे अपने रोजगार का प्रबंध कहां करेंगे, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मक्का-मदीना में हिंदू भाइयों को व्यापार की अनुमति नहीं मिलती, और किसी चर्च के सामने कोई हिंदू कैंडल की दुकान नहीं लगा सकता। तो फिर महाकुंभ में गैर-हिंदुओं को व्यापार की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए?

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या आप हमारी पवित्रता को बरकरार रख पाएंगे? अगर आपको हमारे धर्म, संगम और सत्संग के महत्व की जानकारी नहीं है, तो ऐसे में आप वहां व्यापार करके क्या हासिल करेंगे?” शास्त्री ने अखाड़ा परिषद के बयान का बचाव करते हुए कहा कि इस मांग में कुछ भी गलत नहीं है और यह पूरी तरह धर्म की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है।

सनातन धर्म की रक्षा की अपील

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने भी इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि देशभर में कट्टरपंथी तत्व सनातन धर्म और हिंदू साधु-संतों की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मेला क्षेत्र में गैर-हिंदू दुकानदारों की उपस्थिति से धर्म की पवित्रता पर असर पड़ सकता है।

महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “गैर-हिंदुओं को हलवाई, चाय, जूस, या ढाबा खोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हमारा उद्देश्य धर्म की पवित्रता को बनाए रखना है। इसी वजह से हमने प्रशासन से यह मांग की है कि मेला क्षेत्र में गैर-हिंदू दुकानदारों को अनुमति न दी जाए।”

सामाजिक प्रतिक्रिया और बहस

इस मांग के बाद से ही धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में इसे लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग इसे सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे रोजगार और सह-अस्तित्व के खिलाफ बताया जा रहा है।

प्रशासन से कड़े कदम की अपील

अखाड़ा परिषद और बागेश्वर धाम ने स्पष्ट रूप से प्रशासन से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजनों की पवित्रता बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है और प्रशासन को इस पर तुरंत आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ सनातन धर्म का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह मांग सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच एक महत्वपूर्ण विषय बन गई है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन और समाज इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और आगामी महाकुंभ के आयोजन में यह मुद्दा कितना प्रभाव डालता है।

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