मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग से एक बड़ी खबर सामने आई है, जो प्रदेश के हजारों अतिथि शिक्षकों को प्रभावित कर सकती है। लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) द्वारा 26 नवंबर को एक नया आदेश जारी किया गया है, जो सरकारी विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की कार्यप्रणाली और पदस्थापना को लेकर है। इस आदेश के बाद कई शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
क्या है नया आदेश?
लोक शिक्षण संचालनालय ने एक स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश के जिन सरकारी विद्यालयों में एक ही पद खाली है, लेकिन वहां दो अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं, उनमें से एक को हटाया जाएगा। यह निर्णय पदों की अधिकता को कम करने और व्यवस्था को संतुलित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
स्कोर कार्ड पर होगा निर्णय
आदेश के अनुसार, यह निर्णय स्कोर कार्ड के आधार पर लिया जाएगा। जिस अतिथि शिक्षक के स्कोर कार्ड में कम अंक होंगे, उसे कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से लागू की जाएगी।
किसे होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
इस आदेश का सीधा प्रभाव उन अतिथि शिक्षकों पर पड़ेगा जो कम स्कोर के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं। खासकर ऐसे शिक्षक जो कई वर्षों से विद्यालयों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन स्कोर कार्ड में कम अंक होने के कारण अब उनकी नौकरी खतरे में है।
प्रदेश के सभी जिलों में लागू होगा आदेश
लोक शिक्षण संचालनालय का यह आदेश प्रदेश के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजा जा चुका है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में इस आदेश को सख्ती से लागू करें और इसे प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करें।
शिक्षकों में बढ़ी चिंता
इस नए आदेश ने उन अतिथि शिक्षकों के बीच चिंता बढ़ा दी है जो कम स्कोर के कारण इस छंटनी प्रक्रिया का शिकार हो सकते हैं। कई शिक्षक इस आदेश को लेकर सवाल उठा रहे हैं और इसे अपने भविष्य के लिए बड़ा संकट मान रहे हैं।
क्या कहता है शिक्षा विभाग?
शिक्षा विभाग का मानना है कि यह आदेश प्रशासनिक सुधार और बेहतर शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। विभाग का कहना है कि विद्यालयों में सीमित पदों पर आवश्यकता के अनुसार योग्य और सक्षम शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करना प्राथमिकता है।
अतिथि शिक्षकों के लिए आगे की राह
इस आदेश के बाद, प्रभावित अतिथि शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने के लिए स्कोर कार्ड सुधारने और नए अवसरों की तलाश करने की आवश्यकता होगी। साथ ही, इस आदेश के खिलाफ कोई सामूहिक अपील या विरोध भी देखने को मिल सकता है।
निष्कर्ष
लोक शिक्षण संचालनालय के इस आदेश ने मध्य प्रदेश के शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। जहां यह आदेश प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक कदम है, वहीं यह कई शिक्षकों के लिए चिंता और अनिश्चितता का कारण बन गया है। अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस आदेश को लागू करने में कितनी पारदर्शिता बरतता है और प्रभावित शिक्षकों के लिए क्या समाधान निकलता है।
यह खबर उन शिक्षकों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, जो मध्य प्रदेश के सरकारी विद्यालयों से जुड़े हैं। इसे सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर साझा करके शिक्षकों को जागरूक किया जा सकता है।