अयोध्या: राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ की भव्य तैयारियां
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 11 से 13 जनवरी तक भव्य आयोजन किया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस समारोह में आम जनता और वीआईपी मेहमानों समेत हज़ारों लोग भाग लेंगे। जो लोग पिछले साल इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल नहीं हो सके थे, उन्हें इस बार समारोह में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
तीन दिवसीय कार्यक्रम: धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का संगम
तीन दिन चलने वाले इस उत्सव के दौरान मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है।
- मुख्य कार्यक्रम:
- हर सुबह प्रसाद वितरण।
- दोपहर 2 बजे से रामकथा और रामचरितमानस पर प्रवचन।
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और शास्त्रीय कार्यक्रम।
- मंडप और यज्ञशाला:
ये उत्सव के मुख्य स्थल होंगे। अंगद टीला स्थल पर जर्मन हैंगर टेंट लगाया गया है, जिसमें 5,000 लोग एक साथ बैठ सकते हैं।
विशेष आमंत्रण और वीआईपी सहभागिता
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इस वर्ष समारोह में उन भक्तों और संतों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है, जो 2024 में हुए प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में भाग नहीं ले पाए थे। समारोह में करीब 110 वीआईपी के शामिल होने की उम्मीद है।
रामलला का अभिषेक और आध्यात्मिक अनुभव
11 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामलला का अभिषेक करेंगे। आयोजन में शामिल होने वाले लोग आध्यात्मिक वातावरण का अनुभव करेंगे। इस मौके पर यज्ञ स्थल और मंडप को भव्य तरीके से सजाया गया है।
पहली वर्षगांठ: ऐतिहासिक प्राण-प्रतिष्ठा की यादें ताज़ा
22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। लाखों श्रद्धालु उस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने थे।
इस बार प्राण-प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पंचांग के अनुसार 11 जनवरी को मनाई जाएगी, क्योंकि इस दिन पौष शुक्ल द्वादशी का शुभ मुहूर्त पड़ रहा है।
समारोह में भाग लेने का निमंत्रण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देशभर के संतों, भक्तों और अयोध्या के नागरिकों से अपील की है कि वे इस भव्य उत्सव में शामिल होकर आध्यात्मिक वातावरण का अनुभव करें। धर्मनगरी अयोध्या एक बार फिर भक्ति और उल्लास के इस संगम की गवाह बनेगी।
यह वर्षगांठ न केवल राम मंदिर के निर्माण की उपलब्धि का प्रतीक है, बल्कि अयोध्या की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का उत्सव भी है।