भोपाल। मध्य प्रदेश में इस बार बीजेपी को जिलाध्यक्षों के चयन में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कहीं एक ही जिले में दो अध्यक्षों का ऐलान किया गया, तो कहीं नियमों में बदलाव कर नेताओं की पसंद को प्राथमिकता दी गई। 47 जिलाध्यक्षों की अब तक की सूची में पार्टी ने जातिगत और राजनीतिक समीकरणों के साथ बड़े नेताओं की पसंद को साधने की पूरी कोशिश की है।
दिल्ली से भोपाल तक सियासी हलचल
जिलाध्यक्षों के नामों को तय करने के लिए दिल्ली से लेकर भोपाल तक बैठकों का दौर चला। इन बैठकों का असर जारी सूची में साफ देखा जा सकता है। अधिकांश जिलों में बड़े नेताओं के करीबी को ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सीएम मोहन यादव के समर्थकों का दबदबा इस सूची में स्पष्ट नजर आता है।
सीएम मोहन और वीडी शर्मा के करीबी समर्थकों का दबदबा
इस बार उज्जैन जिले से नामों की घोषणा की शुरुआत हुई, जहां मुख्यमंत्री मोहन यादव के करीबी को जिलाध्यक्ष बनाया गया। उज्जैन और इंदौर संभाग में मुख्यमंत्री के समर्थकों को अधिक मौका दिया गया है। इसी तरह बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों में वीडी शर्मा के करीबी नेताओं को प्राथमिकता मिली है। ग्वालियर शहर में जयप्रकाश राजौरिया को जिलाध्यक्ष बनाया गया, जो वीडी शर्मा के बेहद करीबी माने जाते हैं।
ग्वालियर-चंबल में सिंधिया-तोमर का संतुलन
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों के बीच संतुलन साधने की कोशिश हुई है। गुना, शिवपुरी, और अशोकनगर जिलों में सिंधिया समर्थकों को मौका दिया गया है। शिवपुरी में जसवंत जाटव को नियमों में बदलाव कर जिलाध्यक्ष बनाया गया, जो सिर्फ चार साल पहले पार्टी में शामिल हुए थे। वहीं, मुरैना और भिंड जिलों में तोमर समर्थकों का दबदबा दिखा है।
मंत्रियों की पसंद भी प्रभावी
मोहन सरकार के मंत्रियों ने भी जिलाध्यक्षों के चयन में अपनी भूमिका निभाई। दमोह और जबलपुर ग्रामीण में मंत्री प्रहलाद पटेल के समर्थकों को मौका मिला, जबकि रीवा, सतना, और मऊगंज में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला की पसंद दिखाई दी।
जातिगत और महिला प्रतिनिधित्व पर जोर
बीजेपी ने जिलाध्यक्षों के चयन में जातिगत समीकरणों को साधने के साथ महिलाओं को भी मौका दिया है। 47 जिलाध्यक्षों में से 16 ओबीसी, 11 ब्राह्मण, 5 क्षत्रिय, और 6 वैश्य समुदाय से हैं। पहली बार 4 अनुसूचित जाति और 4 महिला नेताओं को जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है। आदिवासी वर्ग से भी 1 नेता को स्थान मिला है।
15 जिलाध्यक्षों की घोषणा शेष
मध्य प्रदेश में इस बार कुल 62 जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान होना है। अब तक 47 जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो चुकी है। शेष 15 जिलों में जल्द ही नामों की घोषणा होने की संभावना है। इनमें इंदौर जैसे बड़े जिले भी शामिल हैं।
बीजेपी ने इस बार जिलाध्यक्षों के चयन में नेताओं की पसंद और संगठन के समीकरणों को साधने की पूरी कोशिश की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में यह समीकरण पार्टी को कितनी सफलता दिलाते हैं।