प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में भोपाल की हर्षा रिछारिया उस समय सुर्खियों में आईं जब उन्होंने पेशवाई के रथ पर सवार होकर संतों के साथ संगम स्नान किया। यह घटना न केवल मीडिया की नजरों में आई, बल्कि कई संतों ने भी इसका कड़ा विरोध किया। विरोध और ट्रोलिंग से आहत होकर हर्षा ने महाकुंभ मेला छोड़ने का फैसला किया है।
हर्षा, जो पहले एक एंकर और एक्ट्रेस रही हैं, अब आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज की शिष्या हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में अपनी पीड़ा जाहिर की और कहा, “मैं न तो संत हूं और न ही मॉडल। मैं सिर्फ अपने गुरुदेव के विचारों से प्रेरित होकर धर्म और संस्कृति को समझने के लिए यहां आई थी। लेकिन संतों और ट्रोलर्स ने मेरे ऊपर ऐसे आरोप लगाए, जिससे मैं आहत हूं। आनंद स्वरूप जैसे संतों के बयान मेरे लिए अपमानजनक हैं।”
महाकुंभ में विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
हर्षा रिछारिया 4 जनवरी को निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान रथ पर सवार हुई थीं। माथे पर तिलक, गले में रुद्राक्ष की माला और भगवा शॉल ओढ़े हुए हर्षा ने संगम में शाही स्नान किया। यह दृश्य सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों पर वायरल हुआ। इसके बाद कुछ संतों ने सवाल उठाते हुए कहा कि एक पूर्व एंकर और एक्ट्रेस को इस तरह रथ पर बैठने की अनुमति देना सनातन धर्म की मर्यादाओं के खिलाफ है।
हर्षा ने अपनी सफाई में कहा, “यह गर्व की बात होनी चाहिए थी कि आज का युवा सनातन धर्म में रुचि ले रहा है। लेकिन इसे विवाद का मुद्दा बना दिया गया। महाकुंभ में सिर्फ मैं नहीं, बल्कि अन्य गृहस्थ लोग भी रथ पर सवार हुए थे। फिर केवल मुझे ही निशाना क्यों बनाया गया?”
आरोपों और ट्रोलिंग से हर्षा आहत
हर्षा ने बताया कि उनकी पुरानी तस्वीरों और प्रोफेशनल बैकग्राउंड को आधार बनाकर उन्हें ट्रोल किया गया। उन्होंने कहा, “मैंने कभी अपनी पिछली जिंदगी नहीं छिपाई। मैंने सभी को बताया कि मैं पहले एंकर और एक्ट्रेस थी। लेकिन अब मैं अपने गुरुदेव की शिष्या हूं और धर्म के प्रति समर्पित हूं। मेरे कपड़ों और पुराने प्रोफेशन को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, वह सिर्फ मेरा नहीं, पूरी नारी जाति का अपमान है।”
हर्षा ने यह भी आरोप लगाया कि संत आनंद स्वरूप ने उनके बारे में अभद्र टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “आनंद स्वरूप खुद को संत कहते हैं, लेकिन उनकी अपनी फैमिली है। उनके बयान न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि यह उनकी मानसिकता को दर्शाते हैं।”
महाकुंभ छोड़ने का ऐलान
हर्षा ने कहा कि वह महाकुंभ में पूरे समय रहने और धर्म को समझने के उद्देश्य से आई थीं। लेकिन विवाद और ट्रोलिंग के कारण अब वह यहां और नहीं रुक सकतीं। “मैंने सोचा था कि महाकुंभ में संतों के सानिध्य में रहकर धर्म और संस्कृति को जानने का मौका मिलेगा। लेकिन मुझे अब कैद होकर रहना पड़ रहा है। इससे अच्छा है कि मैं यहां से चली जाऊं,” उन्होंने भावुक होकर कहा।
युवाओं से धर्म जोड़ने की कोशिश में मिली नाकामयाबी
हर्षा ने कहा कि उनका उद्देश्य युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने का था। “मैंने सोचा था कि युवा मेरी बात सुनेंगे और धर्म के प्रति जागरूक होंगे। लेकिन इन विवादों ने मेरा यह प्रयास विफल कर दिया। कुछ लोगों ने मुझे निशाना बनाकर न केवल मेरा, बल्कि पूरे युवाओं का यह अधिकार छीन लिया।”
महाकुंभ का संदेश और समापन
हर्षा रिछारिया का यह बयान महाकुंभ में महिलाओं की भूमिका और संत समाज के दृष्टिकोण पर एक नई बहस छेड़ता है। यह घटना यह भी दिखाती है कि धर्म और समाज के बीच बढ़ते मतभेद किस प्रकार व्यक्तियों को प्रभावित कर सकते हैं।
अब देखना यह है कि हर्षा के इस कदम पर संत समाज और उनके समर्थकों की क्या प्रतिक्रिया होती है। लेकिन एक बात साफ है कि इस घटना ने महाकुंभ के माहौल को विवादों में घसीट लिया है।